पति-पत्नी को साथ रहने को मजबूर करना क्रूरता, तलाक केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

पति की तलाक अर्जी खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलाक की एक एप्लीकेशन पर महत्त्वपूर्ण फैसला सुनातेे हुए कहा है कि पति-पत्नी अगर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हैं, वे साथ नहीं रहना चाहते हैं, तो उनको साथ रहने के लिए मजबूर करना किसी क्रूरता से कम नहीं है। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक एक-दूसरे से दूर रह रहे ऐसे कपल को एक साथ लाने की बजाय उनका तलाक कर देना जनहित में है। कोर्ट ने अपर प्रिंसिपल जज फैमिली कोर्ट गाजियाबाद के पति की तलाक अर्जी खारिज करने के आदेश को रद्द कर दिया।

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कोर्ट ने दोनों के बीच हुए विवाह को डिस्पोज कर दिया। कोर्ट ने स्थाई विवाह विच्छेद के बदले में पति को तीन महीने में एक करोड़ रूपए पत्नी को देने का भी आदेश दिया। दरअसल, पति की वार्षिक आय दो करोड़ रुपए है।

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